इस किताब में लेखक की पूर्वोत्तर की दो यात्राओं का वर्णन है। ट्रेन से मोटरसाइकिल गुवाहाटी भेजने के बाद ये पूर्वी अरुणाचल का रुख करते हैं और नामदफा आदि स्थानों पर घूमते हुए पूर्वी अरुणाचल और पूर्वी असम के कुछ प्रसिद्ध-अप्रसिद्ध स्थानों का भ्रमण करते हुए वापस गुवाहाटी लौट आते हैं और मोटरसाइकिल वहीं छोड़कर दिल्ली आकर अपने काम-धंधे में लग जाते हैं। फिर तीन महीने बाद पुनः गुवाहाटी जाकर मोटरसाइकिल उठाते हैं और यात्रा करते हैं मेघालय और उत्तर बंगाल की। इसके साथ ही मोटरसाइकिल से ही दिल्ली लौटते हैं। लेखक की खासियत है कि वे अप्रचलित और दुर्गम स्थानों की यात्रा करते हैं। इन दोनों यात्राओं में भी लेखक अधिकतर उन स्थानों पर जाते हैं, जहाँ पूर्वोत्तर जाने वाले यात्री अक्सर नहीं जाते।